बवासीर के कारण,लक्षण और उपचार
बवासीर(पाइल्स) का कारण यह रोग अधिकतर उन युवकों को होता है , जो अक्सर बैठे रहते हैं। जिन्हें पुराना कब्ज हो, और जो अधिक मदिरापान करते हो | तथा बूढों को यह रोग प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढ़ जाने के कारण और मूत्राशय में पथरी बन जाने से हो जाता है। (स्त्रियों को कम होता है)
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बवासीर के लक्षण १. इस रोग में गुदाद्वार पर मस्से फूल जाते है। २. मलद्वार की नसें फूल जाने से वहाँ की त्वचा फूल कर सख्त हो जाती है और अंगूर की भाँति एक दूसरे से जुड़े हुए गुच्छे से उभर आते हैं। ३. जिनमें रक्त बहता है, उसे खूनी बवासीर के नाम से जाना जाता है और जिसमें रक्त नहीं बहता, उसे बादी बबासीर के नाम से जाना जाता है। |
खूनी बवासीर के लक्षण १. मस्सों में जलन, टपकन, अकड़न और काटकर फेंकने जैसा दर्द होता है। २. रोगी को बैठने में तकलीफ होती है। रोगी कब्ज के कारण दुःखी रहता है, उसको पतले दस्त नहीं आते तथा उसके मल में प्रायः रक्त आया करता है। ३. मल त्याग करते समय अत्यन्त पीड़ा होती है जो पाखाना करने के बाद भी कुछ देर तक होती रहती है। ४. गुदा के चारों तरफ लाली हो जाती है। गुदा में दर्द, जलन, खुजली होती रहती है। रोगी का चेहरा तथा पूरा शरीर नीला पड़ जाया करता है। |
बादी बवासीर के लक्षण १. बादी बवासीर में गन्दी हवा (वायु) निकला करती है। २. रोगी के जोड़ों में टूटने जैसा दर्द होता है, उठते बैठते उसके जोड़ चटका करते है तथा रोगी को भूख कम लगती है इसके साथ ही उसकी जाँघों में भी पीडा बनी रहती है। ३. रोग प्रतिदिन कमजोर होता चला जाता है। |
बवासीर में क्या खाएं क्या ना खाएं अर्श की चिकित्सा में कब्ज कतई न रहने दें। रोगी को ऐसा भोजन दिया जाना चाहिए जिसंसे मल साफ आये अन्यथा उसे एनीमा दें। मिश्री मक्खन के साथ छिलका उतरे हुए तिल या भीगा हुआ चना रोज सवेरे देने से कब्ज दूर होगी सवेरे उठने पर तथा रात्रि को सोते समय एक गिलास गर्म पानी देने से भी कब्ज दूर होता है। मन पसन्द हल्का-फुल्का व्यायाम, प्रातः सायं नित्य करने का रोगी को निर्देश दें। शोथ की अवस्था में पूर्ण विश्राम की सलाह दें। |
पथ्य भोजन ( इनका सेवन करें ) जिमीकन्द, पपीता, मक्खन, पिस्ता, बादाम, नाशपाती, सेब, पुराने चावल का भात, पका कोहडा, मट्ठा, दुध विशेषतः बकरी का, मिश्री व कच्ची मूली दें। |
अपथ्य भोजन ( इनके सेवन से बचें) चाय, काफी, रूखी चीजें, भुनी और उत्तेजक चीजें, मादक वस्तुएँ, धूप या आग तापना, लहसुन, प्याज, मछली, माँस, उड़द की दाल, लाल मिर्च आदि खाना निषेध करा दें तथा टेढ़े होकर बैठना, घोडे और ऊँट की सवारी करना, मल-मूत्र के वेगों को रोकना, मैथुन करना, उपवास करना, कठोर श्रम | |
बवासीर का घरेलू उपाय / उपचार
1. आँवला आँवला 15 ग्राम और 15 ग्राम मेंहदी के पत्तों को डेढ़पाँव पानी में रातभर भीगने दें | सुबह उसका पानी पीने से बवासीर मिट जाती है | |
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2. फिटकरी दस ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर 20 ग्राम मक्खन में मिलाकर लगाने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं। |
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3. जमीकन्द जिमीकन्द के ऊपर मिट्टी लगाकर कपड़ा लगा दें और उसे आग में डाल दें। जब मिट्टी लाल हो जाए, तब उसे मिट्टी से अलग करके नमक और तेल मिलाकर खाने से बवासीर में लाभ होता है। जिमीकन्द के टुकड़े छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर 10 ग्राम हर रोज सुबह 20 दिन लेने से बवासीर दूर हो जाता है। जमीकन्द का भुर्ता बनाकर प्रतिदिन खाने से बवासीर ठीक हो जाता है। |
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4. गोरखमुण्डी गोरखमुण्डी की छाल का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से अर्श ठीक हो जाता है। गोरखमुण्डी का चूर्ण गाय के दूध या दही के साथ खाने से बवासीर में लाभ होता है। |
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5. कालीमिर्च कालीमिर्च 2 ग्राम , जीरा 1 ग्राम और शक्कर साढ़े सात ग्राम मिलाकर एक चम्मच पानी के साथ लेने से बवासीर मिट जाता है। |
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6. रसौत रसौत का चूर्ण 2 ग्राम और कालीमिर्च एक नग दही या मट्ठे के साथ दिन । में तीन बार खाने से बवासीर मिट जाता है। |
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7. अखरोट अखरोट के तेल में कपड़ा भिगोकर बाँधने से बवासीर के मस्सों में लाभ होता है। |
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8. जायफल जायफल और सौठ डेढ़-डेढ़ तोला तथा अनार का छिलका 5 तोला को पीसकर दही के साथ खाने से बवासीर में लाभ होता हैं। |
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9. हरड़ 2 ग्राम हरड़ का चूर्ण ईसबगोल की भूसी के साथ रात में खाने से बवासीर मस्सा मिट जाता है। |
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10. तिल ठण्डे पानी के साथ काले तिल (कच्चे) खाने से अर्श-रोग ठीक हो जाता है। |
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11.निम्बोली निम्बोली, बकायन, इन्द्र-जौ, गूगल, एलुआ और छोटी हरड.1-1 तोला और कपूर 6 ग्राम की गोंद के रस में गोलियाँ बनाकर खाने से अर्श मिट जाता है। |
12. हुलहुल तीस ग्राम हुलहुल के पत्ते पीसकर टिकिया बनाकर बवासीर के मस्सों पर रखकर ऊपर से लँगोट पहन लें। तीन दिन इस प्रकार करने से मस्से ठीक हो जायेंगे। |
13. श्रृंग-भस्म सुबह 3 बजे से 5 बजे के बीच उठकर श्रृंग-भस्म या लौह-भस्म मक्खन के साथ खाकर पुनः सो जाने से बवासीर में लाभ होता है। |
14. आक आक, बेर, जिनजिनी और गूगल की जड़ का चूर्ण बनाकर 1 रत्ती(182 mg ) दवा केले के साथ खाने से बवासीर मिट जाता है। |
15. त्रिफला त्रिफला और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर गुलाबजल में घोटकर सात ग्राम की मात्रा में खाने से अर्श-रोग में लाभ होता है। |
16. अजवायन अजवायन देशी, अजवायन जङ्गली और अजवायन खुरासानी को समभाग लेकर महीन पीसकर मक्खन में मिलाकर मस्सों पर लगाने से कुछ दिन में मस्से सूख जाते हैं। अजवायन और पुराना गुड़ कूटकर 4 ग्राम सुबह गरम पानी के साथ खाने से सूखे मस्सों और कमर के दर्द में लाभ होता है। 3 ग्राम अजवायन और 3 ग्राम रसौत खाने से अर्श-रोग में लाभ होता है। |
17. गन्धक सात ग्राम गन्धक-बिरोजा को पानी के साथ लेने से बवासीर दूर होता है। |
18. लवण-भास्कर लवण-भास्कर का चूर्ण भोजन के बाद खाने से दस्त लगकर बवासीर ठीक हो जाता है। |
19. दही दही का तोड़ पीने से बवासीर में आराम मिलता है। |
20. शक्कर शक्कर या रसकपूर के साथ गोरखमुण्डी लगाने से बवासीर के मस्से ठीक हो जाते हैं। |
21. इन्द्रायण इन्द्रायण की जड़ 750 ग्राम में 100 ग्राम जीरा डालकर घोट लें। 5-5 टङ्क की टिकिया बनाकर बाँधने से बवासीर मिट जाती हैं। इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण 2 रत्ती(364 mg), कालीमिर्च चूर्ण पाव तोला के साथ खाने से बवासीर में लाभ होता है। इन्द्रायण के बीज और गुड़ पीसकर लुगदी बनाकर गुदा पर बाँधने से मस्सों में लाभ होता है। |
22. घी दस वर्ष पुराना घी लगाने से बबासीर के मस्से मिट जाते हैं। |
23. अखरोट अखरोट के तेल में कपड़ा भिगोकर बाँधने से बवासीर के मस्सों में लाभ होता है। |
24. अनार अनार के पत्ता पीसकर टिकिया बना लें। इसे घी में भूनकर गुदा पर बाँधने से मस्सों की जलन, दर्द और सूजन मिट जाती है। |
25. साँप की केंचुली काले साँप की केंचुली जलाकर सरसों के तेल में मिलाकर गुदा पर चुपड़ने से मस्सा कट जाता है। |
26. थूहर थूहर का दूध लगाने से मस्से और त्वचा के फोड़ों में लाभ होता है। |
27. सूरजमुखी सूरजमुखी के पत्तों का साग दही के साथ खाने से मस्से मिट जाते है। |
28. जीरा काले जीरे की पुल्टिस बाँधने से बाहर लटके हुए मस्से बैठ जाते है। |
29. खैर खैर, मोम और अफीम मिलाकर पीसकर लगाने से मस्से सिमट जाते हैं। |
30. अरणी अरणी से पत्ते पीसकर पुल्टिस बनाकर बाँधने से बवासीर की सूजन और पीड़ा मिट जाती है। |
31. अडूसे अडूसे के पत्ते पीसकर नमक मिलाकर बाँधने से बवासीर और भगन्दर में लाभ होता है । |
32. भाँग दस ग्राम भाँग के हरे पत्ते और 3 ग्राम अफीम घोटकर एक टिकिया बना लें और तबे पर गरम करके गुदा पर बाधेने से बवासीर मस्से मिट जाते हैं। |
33. गुड़ गुड़ और हरड़ के चूर्ण की गोली बनाकर खाने से अर्श-रोग में लाभ होता है। |
34. कुचला कुचला और अफीम को पानी में घिसकर मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं। |
35. बंदगोभी बंदगोभी के पत्तों को कूटकर उनका रस निकाल लें। इस रस को दिन में तीन-चार बार मस्सों पर लगायें। एक सप्ताह में मस्से ठीक हो जायेंगे। |
36. मूली मूली का रस 125 ग्राम और जलेबी 100 ग्राम । जलेबी को मूली के रस में एक घण्टे तक भीगने दें। इसके बाद जलेबी खाकर रस पीलें । एक सप्ताह यह प्रयोग करने से बवासीर मिट जाती हैं। |
37. गाय का दूध चार प्यालों में धारोष्ण गाय का दूध आधा भरें, इनमें आधा-आधा नीबू का रस निचोड़ कर पीते जायें। याह 5-6 दिन तक पीने से बवासीर मिट जाती है। |
38. कचूर पाँच ग्राम कचूर का चूर्ण सुबह पानी के साथ खाने से दो सप्ताह में बवासीर ठीक हो जाती है। |
39. नागकेसर नागकेसर और सफेद सुर्मा बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। आधा ग्राम दवा को 6 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से सभी प्रकार की बवासीर में लाभ होता है। |
40. अनार तीन ग्राम कच्चे अनार के छिलके के चूर्ण में 100 ग्राम दही मिलाकर खाने से बवासीर मिट जाता है। |
41. चिरिचिटा छः ग्राम चिरिचिटा के पत्ते और 5 ग्राम कालीमिर्च को ठण्डाई की तरह घोटकर पीने से अर्श-रोग में लाभ होता है। |
42. तोरई कड़वी तोरई के बीज पानी में पीसकर लगाने से बवासीर मिट जाती है। |
43. आम आम के पत्तों का रस लगाने से मस्से सूख जाते हैं। |
44. नीम नीम और पीपल के पत्ते घोट-पीसकर मस्सों पर लेप करने से मस्से सूख जाते हैं। |
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